संभाजी महाराज की जीवनी | Chhatrapati Sambhaji Maharaj Biography 

Sambhaji Maharaj Biography


🔰 परिचय (Introduction)

छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj) भारतीय इतिहास के सबसे वीर, निडर और शक्तिशाली योद्धाओं में से एक थे। वे मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे। संभाजी महाराज ने अपने जीवन में मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों से संघर्ष किया और हिंदवी स्वराज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका नाम बलिदान, शौर्य और स्वाभिमान का प्रतीक है।


📌 संभाजी महाराज का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Sambhaji Maharaj)

नामछत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj)
जन्म14 मई 1657, पुरंदर किला (Purandar Fort), महाराष्ट्र
पिताछत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)
मातासईबाई (Saibai)
पत्नीयेसुबाई (Yesubai)
संतानशाहू महाराज (Shahu Maharaj)
राज्याभिषेक20 जुलाई 1681, पन्हाला किला (Panhala Fort)
मृत्यु11 मार्च 1689, तुलापुर (Tulapur), महाराष्ट्र

संभाजी महाराज का बचपन कठिनाइयों से भरा था। 1661 में उनकी माता सईबाई का निधन हो गया, जिसके बाद वे अपनी दादी जीजाबाई के संरक्षण में पले-बढ़े।

📖 शिक्षा (Education & Skills)

संभाजी महाराज बहुभाषी (Multilingual) थे और उन्होंने संस्कृत, मराठी, हिंदी, फारसी और कुछ यूरोपीय भाषाओं में महारत हासिल की थी। उन्हें राजनीति, प्रशासन, कूटनीति (Diplomacy) और युद्धकला (Warfare Tactics) का गहरा ज्ञान था।


⚔️ संभाजी महाराज का शासनकाल (Reign of Sambhaji Maharaj - 1681 to 1689)

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद 1681 में संभाजी महाराज सिंहासन पर बैठे। उनके शासनकाल में मराठा साम्राज्य को बचाने के लिए कई महत्वपूर्ण युद्ध हुए।

1️⃣ मुगलों के खिलाफ युद्ध (War Against Mughals)

  • 1681 में औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य को खत्म करने के लिए विशाल सेना भेजी।
  • संभाजी महाराज ने गुरिल्ला युद्धनीति (Guerrilla Warfare) का उपयोग कर मुगलों को भारी नुकसान पहुँचाया।
  • वे लगातार 8 वर्षों तक मुगलों को हराते रहे।

2️⃣ पुर्तगालियों से संघर्ष (War Against Portuguese – Goa Invasion)

संभाजी महाराज ने पुर्तगालियों (Portuguese) के खिलाफ युद्ध किया क्योंकि वे मुगलों का समर्थन कर रहे थे। उन्होंने गोवा पर हमला किया और पुर्तगालियों को भारी नुकसान पहुँचाया।

3️⃣ अंग्रेजों से संबंध (Relations with British East India Company)

संभाजी महाराज ने अंग्रेजों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि वे मराठा मामलों में हस्तक्षेप न करें।


⚰️ संभाजी महाराज की शहादत (Martyrdom of Sambhaji Maharaj - 1689)

कैसे पकड़े गए संभाजी महाराज? (How was Sambhaji Maharaj Captured?)

  • फरवरी 1689 में संभाजी महाराज अपने विश्वासपात्र कवि कलश (Kavi Kalash) के साथ संगमेश्वर (Sangameshwar) में थे।
  • उनके ही एक विश्वासघाती सरदार गणेश गोसावी ने उनके ठिकाने की सूचना मुगलों को दे दी।
  • मुगल सेनापति मुक्करब खान (Muqarrab Khan) ने उन्हें पकड़ लिया।

औरंगजेब के दरबार में (At Aurangzeb’s Court)

संभाजी महाराज को औरंगजेब के सामने पेश किया गया।

  • उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
  • उन्हें भीषण यातनाएँ (Severe Torture) दी गईं।
  • 11 मार्च 1689 को तुलापुर (Tulapur) में उन्हें क्रूर तरीके से मार दिया गया।


🏆 संभाजी महाराज की उपलब्धियाँ (Achievements of Sambhaji Maharaj)

मराठा साम्राज्य की रक्षा की और इसे और मजबूत किया।
मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों से सफलतापूर्वक लड़े।
संस्कृत भाषा में योगदान दिया – "बुद्धिभूषण" और "नखशिख" जैसी पुस्तकें लिखीं।
नौसेना को मजबूत किया और समुद्री हमलों का नेतृत्व किया।


🔥 संभाजी महाराज की विरासत (Legacy of Sambhaji Maharaj)

  • उनकी शहादत के बाद मराठा साम्राज्य और अधिक मजबूत हुआ।
  • उनकी वीरता और बलिदान आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
  • "संभाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं थे, वे हिंदवी स्वराज के सच्चे रक्षक थे!"


🏛️ संभाजी महाराज के सम्मान में स्मारक (Memorials of Sambhaji Maharaj)

संभाजी महाराज समाधि (Tulapur, Maharashtra)
पन्हाला किला (Panhala Fort)
सिंहगढ़ किला (Sinhagad Fort)