GST से पहले का टैक्स सिस्टम (Tax System Before GST)

GST लागू होने से पहले भारत में एक जटिल अप्रत्यक्ष कर प्रणाली थी। इसमें कई प्रकार के कर थे, जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग वसूलती थीं। ये कर अलग-अलग स्तरों पर लागू होते थे, जिससे व्यापार और उपभोक्ताओं पर दोहरा कर प्रभाव (Double Taxation) पड़ता था।


1. वैट (VAT - Value Added Tax):

क्या था? (What was VAT?):

  • वैट एक राज्य स्तरीय कर था, जो वस्तुओं की बिक्री पर लगाया जाता था।
  • हर चरण में मूल्य में वृद्धि (Value Addition) पर टैक्स लगाया जाता था।

समस्या (Issues with VAT):

  • अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग वैट दरें थीं।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) केवल उसी राज्य में उपलब्ध होता था।
  • एक ही वस्तु पर केंद्र और राज्य द्वारा अलग-अलग टैक्स लगने से "कास्केडिंग इफेक्ट" होता था।

2. सेवा कर (Service Tax):

क्या था? (What was Service Tax?):

  • सेवा कर केंद्र सरकार द्वारा सेवाओं पर लगाया जाता था।
  • यह पहली बार 1994 में लागू हुआ था।

समस्या (Issues with Service Tax):

  • सेवा और वस्तु के मिश्रण पर (Composite Supply) भ्रम पैदा होता था।
  • कई बार एक ही लेन-देन पर वैट और सेवा कर दोनों लगते थे।

3. एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty):

क्या था? (What was Excise Duty?):

  • एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Manufacturing) पर लगाया जाता था।
  • यह कारखाने या उत्पादन स्थल पर लागू होता था।

समस्या (Issues with Excise Duty):

  • केवल निर्माताओं को ITC मिलता था, जबकि वितरकों और उपभोक्ताओं पर इसका बोझ बढ़ता था।
  • एक्साइज ड्यूटी और वैट के बीच कोई समन्वय नहीं था।

4. अन्य कर (Other Taxes):

  • एंट्री टैक्स (Entry Tax): एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तु लाने पर लागू होता था।
  • सेंटरल सेल्स टैक्स (CST): अंतर्राज्यीय बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता था।
  • लक्जरी टैक्स (Luxury Tax): विलासिता सेवाओं और वस्तुओं पर लगाया जाता था।

पुराने टैक्स सिस्टम की समस्याएं (Issues with the Old Tax System):

  1. कास्केडिंग इफेक्ट (Cascading Effect):

    • एक ही वस्तु/सेवा पर कई बार टैक्स लगने से कीमतें बढ़ जाती थीं।
  2. अलग-अलग दरें (Different Tax Rates):

    • राज्यों में वैट और अन्य करों की दरों में असमानता थी।
  3. इनपुट टैक्स क्रेडिट की सीमा (Limited ITC):

    • वैट, सेवा कर, और एक्साइज के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता था।
  4. व्यापारियों के लिए कठिनाई (Challenges for Businesses):

    • व्यापारियों को कई प्रकार के करों का अनुपालन करना पड़ता था।
    • राज्यों और केंद्र के अलग-अलग नियमों के कारण व्यापारिक प्रक्रियाएं जटिल थीं।

GST ने कैसे बदलाव किया? (How GST Changed It All):

  1. सभी करों का एकीकरण (Integration of All Taxes):

    • वैट, सेवा कर, एक्साइज ड्यूटी, और अन्य अप्रत्यक्ष करों को एकल टैक्स (GST) में समाहित कर दिया गया।
  2. इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ (Seamless ITC):

    • GST ने पूरे सप्लाई चेन में ITC का लाभ प्रदान किया।
  3. "एक राष्ट्र, एक कर" (One Nation, One Tax):

    • सभी राज्यों और केंद्र के लिए समान टैक्स दरें लागू की गईं।

निष्कर्ष (Conclusion):

GST से पहले का टैक्स सिस्टम जटिल और अप्रभावी था, जिसमें व्यापार और उपभोक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। GST ने इस पुरानी प्रणाली को बदलकर टैक्सेशन को सरल, पारदर्शी और समान बनाया।