अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) क्या हैं?
अप्रत्यक्ष कर वे कर हैं जो सीधे व्यक्ति द्वारा सरकार को नहीं चुकाए जाते, बल्कि वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के माध्यम से वसूले जाते हैं। ये कर वस्तुओं या सेवाओं की कीमत में शामिल होते हैं, और अंततः उपभोक्ता इस कर का भार वहन करता है। व्यापार या व्यवसाय इन करों को सरकार के पास जमा करने का माध्यम बनते हैं।
अप्रत्यक्ष कर की मुख्य विशेषताएं
- मध्यस्थता से वसूली: उपभोक्ता कर का भुगतान करता है, लेकिन इसे व्यवसाय (जैसे विक्रेता या निर्माता) सरकार को जमा करते हैं।
- स्थानांतरणीय प्रकृति: कर का भार एक व्यक्ति से दूसरे (व्यवसाय से उपभोक्ता) पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
- कीमत में शामिल: ये कर वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में जोड़े जाते हैं, जिससे उपभोक्ता इसे अलग से महसूस नहीं करता।
- खपत आधारित कर: जितना अधिक आप खरीदते हैं, उतना अधिक कर आप चुकाते हैं।
- समान दर: एक ही वस्तु या सेवा के लिए सभी उपभोक्ताओं से समान कर लिया जाता है।
अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण (जीएसटी से पहले)
- मूल्य वर्धित कर (VAT): राज्य के भीतर वस्तुओं की बिक्री पर लगाया जाता था।
- सेवा कर (Service Tax): होटल, रेस्तरां, और अन्य सेवाओं पर लागू होता था।
- उत्पाद शुल्क (Excise Duty): देश के भीतर निर्मित वस्तुओं पर लागू होता था।
- सीमा शुल्क (Custom Duty): आयात और निर्यात पर कर।
- मनोरंजन कर (Entertainment Tax): फिल्मों, शो और अन्य मनोरंजन गतिविधियों पर लगाया जाता था।
अप्रत्यक्ष कर की खामियां (जीएसटी से पहले)
- कास्केडिंग प्रभाव: हर स्तर पर कर लगने से "कर पर कर" की समस्या होती थी।
- जटिल अनुपालन: विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कर और उनके अलग नियम।
- पारदर्शिता की कमी: उपभोक्ताओं को यह स्पष्ट नहीं होता था कि वे कितना कर दे रहे हैं।
जीएसटी में बदलाव
2017 में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू होने के साथ ही कई अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत कर दिया गया। इससे कास्केडिंग प्रभाव समाप्त हुआ, कर प्रणाली सरल हुई और पारदर्शिता बढ़ी।
अप्रत्यक्ष कर भारत की कर प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे, लेकिन जीएसटी ने इसे अधिक संगठित और प्रभावी बना दिया।
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